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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–उर्दू निदेशालय, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग बिहार सरकार के तत्वाधान में जिला उर्दू भाषा कोषांग द्वारा दरभंगा प्रेक्षागृह में कार्यशाला-सह-फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी दरभंगा श्री राजीव रौशन अनुमंडल पदाधिकारी सदर सुश्री चंद्रिमा अत्री, संयुक्त निदेशक जन संपर्क नागेंद्र कुमार गुप्ता, जिला कल्याण पदाधिकारी मो.असलम अली, प्रो0 मुश्ताक अहमद के द्वारा शमा रौशन किया गया। इसके पूर्व में सभी अतिथियों को पौधा एवं आईना-ए दरभंगा पुस्तक प्रदान कर हार्दिक अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने उर्दू भाषा के विकास के लिए उर्दू निदेशालय मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार सरकार द्वारा आयोजित कार्यशाला-सह-मुशायरा कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए सभी उर्दू प्रेमियों का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा दिलों को जोड़ती है, उर्दू का जुबान है जो तहजीब सिखाती है, भाईचारा और अमन लेकर आती है तथा संस्कृति और उसके विरासत को एक नए पायदान पर लेकर जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार इस बात पर गर्व कर सकता है कि उर्दू यहां की द्वितीय राज्य भाषा है तथा दरभंगा इस बात पर गर्व कर सकता है कि यहां उसके चाहने वाले बहुत हैं।

उन्होंने कहा कि मानव जाति अपनी संवेदनाओं को दूसरे तक भाषा के माध्यम से पहुंचा सकती है, यही बात उसे अन्य जीवों से अलग करती है। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा की जुबां मीठी है। विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली दस भाषाओं में यह शामिल है। अनुमंडल पदाधिकारी सदर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उनका यह प्रयास रहेगा कि उर्दू भाषा के विकास के लिए तथा अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जितनी भी योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही है, उनका जितना लाभ लोगों तक पहुँचे। उन्होंने फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा एवं कार्यशाला में शिरकत करने वाले अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इसके पहले जिला कल्याण पदाधिकारी मो.असलम अली ने सभी का हार्दिक स्वागत किया। फ़रोग-ए-उर्दू सेमिनार व मुशायरा कार्यक्रम में अपर समाहर्ता लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल कुमार, अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन सलीम अख्तर, अपर समाहर्ता विभागीय जांच कुमार प्रशांत, अपर समाहर्ता विधि व्यवस्था राकेश कुमार रंजन एवं अन्य संबंधित पदाधिकारी गण उपस्थित थे। वही उर्दू के विशिष्ट विद्वानों के व्याख्यान, उर्दू डेलिगेट्स का व्याख्यान, उर्दू भाषा के अन्य विद्वानों का व्याख्यान एवं छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुति किया।

कार्यकर्म को सफल बनाने में नसीम अहमद रिफत उर्फ मक्की, डॉक्टर मनौअर राही, मुफ्ती आफताब गाज़ी, कारी उस्मान साहेब, हाफिज अबु सहमा, डॉक्टर अकील सिद्दीकी, मास्टर मो.शादाब, डॉक्टर इस्मत जहां सहित दर्जनों उर्दू प्रेमियों का रहा।

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