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महिला आरक्षण के दांव की पांच राज्यों के चुनावों में पहली परख, 2018 में 5.25 करोड़ महिलाओं ने निभाई थी भूमिका

भाजपा संसद के दोनों सदनों से महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने में सफल हो गई। आधी आबादी के हित में ऐसा ऐतिहासिक निर्णय कर स्वाभाविक रूप से भाजपा इसका चुनावी लाभ भी लेना चाहेगी। इसी संभावना के मद्देनजर विपक्ष ने इस विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक महिलाओं को आरक्षण नहीं दिए जाने के मुद्दे पर मुखरता से जातीय बिसात बिछाई है।

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कांग्रेस की इस मुद्दे पर मुखरता की स्पष्ट वजह यह है कि इसी वर्ष पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इनमें से तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है।

इनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तो मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है। इन तीनों ही राज्यों में महिला मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है। मध्य प्रदेश में दो करोड़ 60 लाख से अधिक, राजस्थान में करीब दो करोड़ 30 लाख और छत्तीसगढ़ में लगभग एक करोड़ है। यह आधी आबादी है, जिनके बीच भाजपा यह प्रचारित-प्रसारित करेगी कि पहली बार उसने महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए इतना महत्वपूर्ण निर्णय किया है।