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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–दरभंगा, समाहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर सभागार में जिलाधिकारी, दरभंगा श्री राजीव रौशन के निदेशानुसार अपर समाहर्त्ता (विभागीय जाँच) की अध्यक्षता में बाल श्रम, बाल विवाह, बाल व्यापार एवं बाल संरक्षण से संबंधित जिला स्तरीय समितियों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक को सम्बोधित करते हुए अपर समाहर्ता (विभागीय जाँच) प्रशांत कुमार द्वारा बताया गया कि बाल श्रम, बाल संरक्षण, मानव व्यापार और बाल विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दे पर मुख्य सचिव बिहार के निर्देश के आलोक में सभी जिला स्तरीय समितियों की संयुक्त बैठक करने का निर्देश प्राप्त हुआ है, उसी के आलोक में यह संयुक्त बैठक विभिन्न विभागों के पदाधिकारियों एवं अन्य सदस्यों के साथ आयोजित की गई है, ताकि बच्चों के सर्वोत्तम हित में कार्य करने हेतु कार्य योजना बनाई जा सके। श्रम अधीक्षक राकेश रंजन के द्वारा बाल श्रम से संबंधित जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों एवं अन्य सदस्यों को बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम के प्रावधान तथा बाल एवं किशोर श्रम के पुनर्वास से संबंधित राज्य कार्य योजना 2017 के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। श्रम अधीक्षक द्वारा बताया गया कि बाल श्रम यानि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम करवाने पर 20 से 50 हजार रूपये तक जुर्माना एवं 06 माह से 02 वर्ष तक कारावास की सजा तथा अपराध दोहराने पर 01 वर्ष से 03 वर्ष तक की कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि साथ ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एम.सी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार में दिए गए आदेश के आलोक में सभी नियोजकों से प्रति बाल श्रमिक बीस हजार रूपए की राशि की वसूली कर जिलाधिकारी के पदनाम से संधारित जिला बाल श्रमिक पुनर्वास सह कल्याण कोष में जमा कराया जाता है और जमा नहीं कराने वाले वाले नियोजकों के विरुद्ध एक अलग से सर्टिफिकेट केस की कारवाई की जाती है।
उन्होंने बताया गया कि विमुक्ति के पश्चात बाल श्रमिकों के पुनर्वास की कारवाई शुरू की जाती है, जिसके तहत सर्वप्रथम उन्हे विद्यालय में नामांकन कराकर उनका शैक्षणिक पुनर्वास कराया जाता है । इसके पश्चात उन्हें तीन हजार रूपए की तत्काल सहायता राशि दी जाती है तथा माननीय मुख्यमंत्री राहत कोष से पच्चीस हजार रूपए की राशि प्रदान की जाती है जिसे संबंधित बाल श्रमिक के 18 वर्ष की आयु पूरी करने की अवधि तक का एफडी कराया जाता है। उन्होंने कहा कि बाल श्रमिकों की पहचान के लिए प्रखण्ड स्तर पर कर्मी एवं पदाधिकारी के साथ एन.जी.ओ. से मदद ली जा रही है तथा प्रत्येक सप्ताह में सामान्यतः दो दिन जिला स्तर से धावा दल द्वारा बाल श्रमिकों की विमुक्ति हेतु धावा दल का संचालन किया जा रहा है जिसमें श्रम संसाधन विभाग की टीम के अलावा, जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम तथा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की संयुक्त टीम रहती है। श्रम अधीक्षक द्वारा बताया गया कि वर्ष 2022 -23 में 10 एवं वर्ष 2023-24 में अब तक 38 बाल श्रमिकों को विमुक्त कराया गया है और विमुक्त बाल श्रमिकों एवं उनके अभिभावकों को पुर्नवास के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। साथ ही शिक्षा विभाग के माध्यम से बच्चे का नामांकन विद्यालय में करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार को राशन कार्ड, आवास योजना, लेबर कार्ड, आयुष्मान योजना के साथ-साथ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, ताकि उन्हें गरीबी से बाहर निकाला जा सके। उन्होंने कहा कि विमुक्त कराये गये बाल श्रमिकों की प्रविष्टि सी.एल.टी.एस. पोर्टल पर 48 घंटे के अन्दर कराया जाता है तथा उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर उनके अभिभावक को सुर्पूद किया जाता है और तदोपरान्त पुर्नवास की कार्रवाई की जाती है। बैठक में सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई भास्कर प्रियदर्शी, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय) इमरान अहमद, जिला कल्याण पदाधिकारी असलम अली, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सदर दरभंगा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि तथा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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