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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–हमारा देश आगामी 2024 के आम चुनाव के मुहाने पर खड़ा है। युवा नागरिक के रूप में हममें से कई लोग इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पहली बार वोट डालेंगे। पिछले दशक में देश के संसाधनों और सार्वजनिक संस्थानों पर मोदी सरकार का घातक हमला देखा गया है। हमने अपनी सार्वजनिक-वित्त पोषित उच्च शिक्षा प्रणाली का क्रमिक क्षरण देखा है। इस निर्लज्ज हमले के आलोक में AISA ने मोदी शासन के दस वर्षों के लिए जवाबदेही की मांग करने और आज के छात्र और युवाओं की मांगों को ले कर। आइसा ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर 23-24 दिसंबर 2023 को पटना में होने वाले आइसा बिहार का 15 वां राज्य सम्मेलन की सूचना दी एवं मोदी सरकार के दस साल यंग इंडिया के दस सवाल राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की। जिला अध्यक्ष शम्स तबरेज एवं जिला सचिव मयंक कुमार ने बताया कि 23-24 दिसंबर 2023 को आइसा का बिहार राज्य सम्मेलन शिक्षा रोजगार एवं सामाजिक न्याय के सवाल पर पटना में होने जा रहा है। इस मौके पर आइसा ने राष्ट्रीय अभियान मोदी सरकार के दस साल यंग इंडिया के दस सवाल’ कार्यक्रम लॉन्च किया। उन्होंने आगे कहा कि सरकार की छात्र युवा विरोधी नीतियों के खिलाफ देश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। सरकार शिक्षा के लोन मॉडल को बढ़ावा दे रही है। फीस वृद्धि किया जा रहा है। उच्च शिक्षा में प्रवेश करने की इच्छा की आशा रखने वाले एस सी, एस टी, महिलाओं एवं पिछड़े तबकों के छात्र छात्राओं को बाहर किया जा रहा है। बिहार के विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया जा रहा है, चार साल का स्नातक लागू किया गया जिससे फीस वृद्धि हुई। बिहार के कॉलेज बुनियादी संस्थानों से जूझ रहे हैं।2014-21 के बीच वही आइसा नेत्री सबा रौशनी ने कही आईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य केंद्रीय संस्थानों के 122 छात्रों की आत्महत्या से मृत्यु हो गई। इन 122 में से 68 अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के थे।” कैंपसों का सांप्रदायिकीकरण किया जा रहा है।

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