
ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24
दरभंगा–एक तरफ जहां हम तकनीकी रूप से बहुत विकसित होते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अपनी संस्कृति परम्परा एवं जीवन के अन्य बहुत से चीजों से कटते जा रहे हैं। जीवन में व्यक्तित्व के विकास के लिए पढ़ने-लिखने एवं बोलने के कला का बहुत ही ज्यादा महत्व है,मनुष्य का जीवन बहुत ही अनमोल है, इसका उपयोग सिर्फ धन उपार्जन करने में ही नहीं गंवा देना चाहिए। हमारे संस्कृति में मनुष्य जीवन के लिए चार पुरुषार्थ की चर्चा है धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की। उपनिषद में एक श्लोक है “आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः श्रोतव्यों मंत्वयो निदिध्यसितव्याः”(बृहदारण्यकोपनिषद) अर्थात आत्मा ही देखने, सुनने, मनन करने और ध्यान करने योग्य है। मुख्य वक्ता राजेश कुमार झा, ‘इम्पल्स कोटा’ के संस्थापक निदेशक द्वारा दी गई जानकारी ने छात्रों को सही तरीके से संवाद करने, लिखने और पढ़ने के कौशल में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा की गई। भविष्य में कैसे अपने सोच-विचार तथा लेखनी के माध्यम से समाज राष्ट्र निर्माण में अच्छी भूमिका निभा सकते है। भारत की भव्यता,सभ्यता,संस्कृति परम्परा,प्राचीन ज्ञान की महिमा और अपनी जड़ों से कैसे जुड़े रहना है,पुनः भारत को विश्व गुरु के पद स्थापित करना है, इत्यादि अनेक पहलुओ के बारे में जागरूक किए। कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉ. संदीप तिवारी ने इस विचार को और भी महत्वपूर्ण बनाया और कहा कि मिथिला की मिट्टी ने हमें बहुत सारे रत्न दिए हैं और आज के छात्रों को उनसे सीखनी चाहिए। उन्होंने इस बारे में बताया कि छात्रों को उन अत्युत्तम व्यक्तियों से सीखना चाहिए जो इस क्षेत्र से हैं और ने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उक्त कार्यक्रम में छात्रों को बहुत खुशी एवं प्रेरणा मिली, अपनी सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ सही और प्रभावी संवाद कौशल के बारे में जानकारी प्राप्त करने का मौका प्रदान करती है। विधार्थी द्वारा संवाद कला को और अच्छा होने के लिए अध्ययन केंद्र की मांग की जिसे प्रधानाचार्य ने स्वीकार किया और मिथिला अध्ययन केंद्र स्थापित करने की सहमति दिया। इस उपलब्धि सत्र में कुल 300 छात्रों ने भाग लिया और इस व्याख्यान का हिस्सा बने। कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ.अशोक कुमार सिंह, मिथिला मिठाई के निदेशक सुचित्रा त्रिपाठी, लेखक डॉ.तिष्या कुमारी, डॉ संजीव कुमार MBA, डॉ.अवनीश कुमार (सहायक प्रध्यापक, के.एस. कॉलेज) प्रो.रमन झा, ई.अंकित कुमार ई.विमलेश प्रिंस जी, रुद्र नारायण जी, शिवकुमार जी कई शिक्षक भी उपस्थित थे,जो सत्र को और भी गुणवत्ता से बनाने में मदद करने के रूप में उपस्थित थे।