दरभंगा–बेदारी कारवां के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सभी सेकुलर पार्टियों से तीखा सवाल पूछा है। उन्होंने कहा की जब क्षेत्र में घूमता हूँ तो कुछ लोग ये कहते नहीं रुकते के दरभंगा से फलां जाति के उम्मीदवार को टिकट मिलेगा तभी महागठबंधन का उम्मीदवार जीतेगा और भाजपाई हारेंगे, ऐसा ही मधुबनी लोकसभा में भी लगातार सुनने को मिलता है के मुस्लिम उम्मीदवार मधुबनी-दरभंगा सीट नहीं निकाल सकते, इसलिए फलां जाति के लोगों को ही टिकट दिया जाए, और मजे की बात तो यह है के ऐसे लोग जीत तक कन्फर्म तक कर दे रहे हैं, जब्कि ऐसा बोलने वालों की संख्या उँगली पर गिनी जा सकती है। लेकिन गंदगी फैलाने के लिए ज्यादा संख्या की जरूरत नहीं पड़ती है। इसलिए हम ऐसे लोगों को और समाज के बुद्धिजीवियों को बताना चाहते हैं के दरभंगा लोकसभा से लगातार तीन बार मुस्लिम सांसद बने और मधुबनी से भी मुस्लिम उम्मीदवार सांसद बनकर देश की सबसे बड़ी सदन तक जाते रहे हैं। जरा गौर करें के यही मिथिलाँचल खासकर दरभंगा-मधुबनी से एकसाथ मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा चुनाव जीतते थे, आखिर ऐसी परिस्थित कैसे बन गई के यहां की दोनों सीटों पर भाजपाईयों ने कब्जा जमा लिया। हमें बिल्कुल गौर करना होगा और फिर खुद से और महागठबंधन की पार्टियों से सवाल करना होगा के अगर भाजपा को हराने के नाम पर मुस्लिम उम्मीदवार वह भी उस क्षेत्र से जहां से लगातार जीतते रहे हैं वहां से टिकट नहीं दिया जायगा तो फिर मुस्लिम उम्मीदवार कहां जाकर चुनाव लड़ेगा। क्या हमें ऐसा नहीं लगता के सभी राजनीतिक पार्टियां एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। भाजपा का खौफ दिखाकर डराकर हमारी जगहों पर अपने जाति और अपने लोगों को उम्मीदवार बनाकर हमारे लोगों को असेंबली और पार्लियामेंट जाने से रोक रहे हैं, बहुत सारी जगहों पर अगर हमारे लोगों को टिकट दिया भी जाता है तो उसे हराने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
हम कहना चाहते हैं दरभंगा-मधुबनी के लोगों से के ये दोनों लोकसभा की सीटें हमारी है, हमारे लोगों को मिलना चाहिए, जिताने हराने की जिम्मेदारी महागठबंधन की है। हम हारें या जीतें हम अपने टिकट का दावा तो नहीं छोड़ सकते और न भाजपा-आरएसएस का डर दिखाकर टिकट लेने वाले किसी दूसरे उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं। हमें ऐसी बातें बोलने से बिल्कुल परहेज करना चाहिए। फलां जाति के लोग ही सीट निकाल सकते हैं इसलिए फलां को टिकट मिले और हम थौक वोट देकर उन्हें जिताते रहें, यही सोच दूसरी सेक्युलर पार्टियों की जाति के लोग हमारे उम्मीदवार को हराने के समय क्यों नहीं सोचते के भाजपा को रोकना है तो कोई हो, मुस्लिम उम्मीदवार है उसे जिताया जाए। नहीं वो ये नहीं सोचते, उन्हें बस अपने लोग, अपनी जाति के लोगों को जिताने से मतलब रहता है। क्योंकि उन्हें मालूम है के जबतक सदन और सिस्टम में हमारे लोग नहीं रहेंगे हम आगे नहीं बढ़ सकते। लेकिन हमें भाजपा को हराना है, फलां मुस्लिम उम्मीदवार सीट नहीं निकाल पायगा उसे फलां जाति वाले वोट नहीं देंगे और इस फरेब में आकर हम अपने लोगों का लोगों का टिकट के साथ साथ अपनी जीती हुई सिट तक गंवा देते हैं, यहां तक के हम अपनी जगहों पर से टिकट की दावेदारी तक खत्म कर देते हैं…।
इसलिए मेरे भाईयों कोई जीते हारे हमें इससे मतलब कम हमारे लोग, हमारे समाज के लोग ज्यादह से ज्यादह सदन और सिस्टम का हिस्सा बनें इसके लिए महागठबंधन सरकार और इसमें शामिल पार्टियों से बात करनी होगी, मुसलमानों को दरभंगा-मधुबनी समेत पूरे बिहार से आबादी और वोट प्रतिशत के मुताबिक कम से कम दस लोकसभा का टिकट मिले इसके लिए दबाव बनाना होगा, महागठबंधन के नेताओं और वोटरों के साथ साथ महागठबंधन में शामिल पार्टियों की जिम्मेदारी है के हमारे लोग जीतकर सदन तक कैसे जायेंगे इसके लिए उनसे बात करनी होगी। क्योंकि जबतक हमारे समाज के लोगों की संख्या असेंबली और पार्लियामेंट में ज्यादह से ज्यादह नहीं जायगी हम दलितों से और भी नीचे पैदान पर पहुंच जायेंगे। 2024-2025 का चुनाव करीब है अगर इसबार हमारे समाज की हिस्सेदारी नहीं बढ़ी तो याद रखिए आने वाले दिनों में हम असेंबली और पार्लियामेंट से खत्म कर दिए जायेंगे और दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर जीने को मजबूर हो जायेंगे।