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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–हृदयाघात (हार्ट अटैक) पूरे विश्व में मृत्यु का सबसे महत्वपूर्ण कारण है। चिंता का विषय है कि भारत में विकसित देशों की तुलना में एक दशक पहले ही युवाओं में हृदयाघात हो रहे हैं। हृदयाघात का सबसे प्रमुख कारण हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनीया जिन्हें कोरोनरी आर्टरी कहते हैं, में रक्त प्रवाह में व्यवधान आना है।

उम्र के साथ हृदयाघात की संभावना सभी में बढ़ती है। परंतु पुरुषों में स्त्रियों की रजो निवृत्ति (मासिक धर्म चक्र के समाप्त हो जाने) के पूर्व इसकी ज्यादा संभावना रहती है। रजो निवृत्ति के उपरांत पुरुषों और स्त्रियों में हृदयाघात की संभावनाएँ लगभग बराबर होती है। हृदय की रक्त धमनियों में प्रवाह का व्यवधान होने पर अगर यथाशीघ्र उपचार किया जाए तो इस बात की संभावना है कि मृत्यु को टाला जा सके। ये उद्गार हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ज्योति प्रकाश कर्ण ने आई एम ए हाल में आयोजित मासिक सी एम ई कार्यक्रम के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सीने में दर्द और होशो हवास का कमना हृदयाघात के सामान्य लक्षण हैं पर कुछ और संकेतों को नज़रअंदाज करना घातक हो सकता है। अपच, पीठ का दर्द और गैस की शिकायत भी कई बार हृदयाघात के संकेत देते हैं।

हृदयाघात के हद तक पहुंचने के पूर्व कोरोनरी आर्टरी में रक्त प्रवाह की कमी कई स्तरों से गुजरती हैं। गलत जीवन शैली और खानपान के अतिरिक्त ऐसी कई बीमारियां हैं, जो हृदयाघात को आमंत्रित करती है। जीवन शैली में परिवर्तन और हृदय रोग विशेषज्ञ द्वारा सुझाई गई दवाओं इस्तेमाल द्वारा हृदयाघात की संभावना को टाला जा सकता है। किसी में हृदयाघात होने पर रक्त की उचित जांच जैसे ट्रोपोनिन टी, ई सी जी, इकोकार्डियोग्राफी, कोरोनरी एंजियोग्राफी, अन्य बड़े जांचों की जरूरत पड़ती है। कोरोनरी आर्टरी में रक्त प्रवाह रुकने और हार्ट के मांसपेशियों की मृत्यु को बचाने के बीच समय सबसे महत्वपूर्ण कारक है। रक्त प्रवाह बंद होना सिद्ध होने के बाद रक्त नालियों को फिर से खोलने के लिए दवा, स्टेंट या अन्य सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है। मरीज को तुरंत उपचार के लिए सही स्थान पर ले जाना जरूरी है, जिससे इन्फआर्क्सन ( हृदय की पेशियों का मारना) रोका जा सके।

सीएमइ की अध्यक्षता मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर यू सी झा ने किया। आईएमए के अध्यक्ष डॉ हरी दामोदर सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया और सीएमइ का संचालन सचिव डॉ अमिताभ सिंहा ने किया। डॉ सुशील कुमार, डॉ एस एन सर्राफ, डॉ ओम प्रकाश और डॉ बी बी शाही ने वक्ता से प्रश्न पूछ कर श्रोताओं का ज्ञानवर्धन किया। डॉ वीरेंद्र कुमार, डॉक्टर हरेंद्र कुमार, डॉक्टर नूतन राय, डॉक्टर सलीम अहमद, डॉ भरत कुमार इत्यादि सहित बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने सीएम में भाग लिया।

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