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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–पूर्व क्रिकेटर सह दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने अपने दरभंगा आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए राम मंदिर के संदर्भ में कहा की जिस दिन कोर्ट का आदेश पर राम मंदिर के बनने की घोषणा हुई थी। तब से बड़ी प्रसन्नता है। सभी लोग जानते है की मां सीता का जन्म स्थली है मिथिला है और हम लोग यही से आते है। प्रभु श्री राम का मिथिला ससुराल है।

इससे बढ़कर हमारे लिए और प्रसन्नता की बात क्या होगी। भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। वही उन्होंने कहा कि कोई आवश्यकता नहीं की हम 22 जनवरी को ही अयोध्या जाए। अगर हम 22 को नही जायेंगे तो सनानत धर्म के हम विरोधी है ये तो नही है। वर्तमान में दो शंकराचार्य ने कहा की अभी मंदिर पूरा बना नही है अधूरा है। शास्त्र के विधि विधान से होना चाहिए। जिस कारण से वह भी नही जा रहे है। तो क्या वह सनातन धर्म के विरोधी हो गए। ऐसा नहीं है, इसे राजनीतिक रंग नही देना चाहिए। जब राम मंदिर पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो जाएगा। तब सीता मां के तरफ से हम लोग हजारों लाखो लोग जायेंगे और मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करेंगे। वही राम मंदिर को राजनीतिक रंग देने के सवाल पर उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा की ये तो शुरू से पता है की ये लोग धर्म के नाम पर लोगो को लड़ाते है। लेकिन राम तो सबके है। केवल भारतीय जनता पार्टी का कॉपी राइट नही है।

अगर कोई नहीं जा रहा है तो उसमें कई कारण हो सकते हैं। मैं सनातन धर्म के मानता हूं और सनातन धर्म के चार शंकराचार्य में से दो ने कहा की वो नही जा रहे है। क्योंकि शास्त्रों के अनुरूप नहीं हो रहा है। यह प्राण-प्रतिष्ठा, तो आप यह कैसे समझते है की मैं सनातन धर्म मानने वाला नही हूँ। वही कीर्ति आजाद ने कहा कि चार शंकराचार्य में से दो सनातन धर्म के ज्ञाता कहे जाते है। जिसकी स्थापना आदि शंकराचार्य ने 11 वी सताब्दी में की थी। तब आप ही कहिए, जब तक मंदिर अधूरा है तब तक मैं वहां कैसे जाऊंगा। वही उन्होंने कहा कि रामनवमी के दिन तक अवश्य, मंदिर तैयार हो जाता, उस दिन करना चाहिए था। क्योकि उस दिन रामलला के छोटे बचपन की मूर्ति लग रही है। उसकी प्राण प्रतिष्ठा होनी। वही रामलाला की मंदिर पूरा नही बनने तक उद्घाटन नही के सवाल पर उन्होंने कहा की मैने ऐसा नहीं कहा भगवान राम त्रेता काल से है।

अगर मां सीता नही होती तो भगवान राम को भी ये प्रताप नही मिलता जो मिला। मुझे बड़ा अजीब लगता है जब लोग श्री राम बोलते है। लोग बोलते है गौड़ी-शंकर, राधा कृष्ण, लक्ष्मी नारायण तो सिया राम क्यों नही। सिया के बिना तो राम अधूरे है। जब इस प्रकार से बात नही होती तो पता लगता है की किस प्रकार से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करते है वो बिल्कुल ही एक ढोंग है। अन्यथा सिया राम क्यों नही।

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