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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–विचारधारा के सवाल पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारा काम ही हमारी पहचान है। मैं किसी मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री का लड़का नहीं हूं।

जो बिजनेस करता है उसकी कोई आइडियोलॉजी नहीं होती, ऐसा समाज नहीं सोचता है। एक बार मैं मान भी लेता हूं कि मैं बिजनेस करता था, तो फिर भी मैं बिजनेस करता था, चोरी तो नहीं करता था, किसी का लूटा नहीं है, कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं किया है। जिन राज्यों में जाकर बिहार के लोग मजदूरी करते हैं वहां मैंने अपने दिमाग, अपने हुनर से बिहार का झंडा गाड़ा है, बिहार का झंडा बुलंद किया है। हमारे राज्य के लोग वहां ठेले पर सब्जी बेचते हैं और हम उन्हीं राज्यों में जाकर वहां के राजा को बनाते हैं। ये तो आपको तय करना है कि आपको किसके साथ रहना है। मेरी ऑडियोलॉजी क्या है इसे समाज को जांचने दीजिए।

प्रशांत किशोर ने कहा कि 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था, उस वक्त भी हजारों लोग अंग्रेजों से सैलरी लेकर उनके लिए काम करते थे। उनको महात्मा गांधी, देश की आजादी पर भरोसा नहीं था। समाज में 100 फीसदी लोग आपकी बात से सहमत नहीं होंगे। लोग सहमत हो, ना हो हम अपना काम कर रहे हैं। अगर, लोग समझ नहीं रख रहे और हर आदमी हमको गलत ही कह रहा है तो हर रोज रात के 2 बजे तक हमसे मिलने कौन आते हैं। प्रशांत किशोर ने शनिवार को जिले के कुशेश्वर स्थान पश्चिम ब्लॉक में पदयात्रा की। इस दौरान वे झाझरा पुस्तकालय मैदान से पदयात्रा शुरू कर पाकाही, बरगावन, हरौली, हिरनी तक गए।

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