दरभंगा–98 वर्ष की आयु में महान कृषि वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन पर संयुक्त किसान मोर्चा की दरभंगा इकाई ने अजय भवन में आयोजित बैठक में श्रद्धांजलि दिया। इस अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उनके निधन से हम सभी लोगों काफी मर्माहत है। वे चुपचाप सदा के लिए अलविदा हो गए। उन्हें शत-शत नमन! देश में कृषि के विकास की बात बहुत हो रही थी मगर किसानों के विकास की कोई चर्चा नहीं थी। कृषि का विकास तो हुआ मगर किसानो की दशा बद से बदतर होती चली जा रही है। पहली बार डॉ एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में कमीशन बनी। किसानों की बदहाल जिंदगी में खुशहाली कैसे हो? इस पर विचार करने हेतु स्वामीनाथन कमीशन ने अपने 2 वर्षों के अथक परिश्रम कर तीन खंडों मे 2351 पृष्ठो का एक रिपोर्ट तैयार किया और अपना अनुशंसा सरकार को समर्पित किया। जिसमें कई किसान पक्षी बेहतर सुझाव भी दिए गए जो आज तक लागू नहीं हुआ। उनका एक बहुमूल्य सुझाव किसानो को फसल की कीमत के संबंध में सभी कृषि पैदावार का सी-2 के आधार पर लागत का डेढ़ गुना दाम की मांग आज भी किसानों के बीच सबसे चर्चित सवाल है और उसके लिए देश मे बड़े-बड़े ऐतिहासिक आंदोलन हो रहे हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुझाव अपने रिर्पोट मे दिया है। सत्ता में आने से पहले नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने भी देश के किसानों से वादा किया था कि हमारी सरकार बनेगी तो हम स्वामीनाथन कमीशन को लागू करेंगे। यह अलग बात है कि सत्ता में आने के बाद स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा भूल गए। अपने सभी देशवासियों को पेट भरने लायक अनाज जब हम पैदा नहीं कर पा रहे थे। तब विदेशी अनाज अमेरिका जैसे देशों से आता था। तब हमारा चुल्हा जलता था। महान वैज्ञानिक डॉ एम एस स्वामीनाथन ने इस पर गहन शोध किया और गेहूं सहित अन्य अनाजों की नई प्रजातियों की खोज की और गेहूं में बौना प्रजाति की खोजकर कृषि क्षेत्र मे नई क्रान्ति ला दी। हरित क्रान्ति के जनक डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन ने हरित क्रांति से भूखे देश को अन्न सम्पन्न बनाने के सूत्रधार बने। आज कृषि का इतना विकास हुआ कि हम अपने 140 करोड़ देशवासियों को पेट भरने के बाद भारी मात्रा में विदेशो में कृषि पैदावार का हम निर्यात करते हैं। हमारा मुल्क आज ऐसे मोड़ पर है जब किसानों ने अपनी चट्टानी एकता के बल पर मोदी जैसे तानाशाह सरकार को किसान विरोधी तीनों कानून को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। विश्व का अजूबा, अनोखा एवं ऐतिहासिक आंदोलन की बेमिसाल जीत के बाद स्वामीनाथन कमीशन को लागू करने की लड़ाई तेज हो कर ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती हैं। इस बैठक की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी ने किया। बैठक में अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष अभिषेक कुमार, किसान सभा के जिला सचिव अहमद अली तम्मने, वरिष्ठ किसान नेता नारायणजी झा, किसान नेता शिव कुमार सिंह, हर्षराज वर्धन, दरभंगा किसान कौंसिल महेश दुबे, किसान महासभा के धर्मेश यादव, केशरी यादव शामिल थे। बैठक से लखीमपुर खीरी कांड के बरसी पर सयुंक किसान मोर्चा 3 अक्टूबर को काला दिवस के रूप में मनाएगी और उस दिन जिला समाहरणालय पर धरना करने का निर्णय लिया गया।
