
ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24
दरभंगा–जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को हायाघाट के अनार कोठी में प्रेस वार्ता की। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि हायाघाट की सबसे बड़ी समस्या अशोक पेपर मील ही नहीं बल्कि यहां की सड़क, विद्यालयों में पढ़ाई का ना होना भी है। यहां का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और पलायन है। इसके लिए पदयात्रा करने की जरुरत नहीं है। पदयात्रा कर इस समस्या की सामाजिक, आर्थिक पहलुओं के साथ इसकी विकरालता का भी पता चलता है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि पलायन गरीबों से जुड़ा मामला है या फैक्ट्री बंद होने का मामला है लेकिन ऐसा नहीं है। गरीब आदमी का बच्चा मजदूरी करने के लिए बाहर जा ही रहा है, सच्चाई ये है कि बिहार में समृद्ध परिवार के लोगों के बच्चों को भी नौकरी के लिए पलायन करना पड़ रहा है। बेरोजगारी सिर्फ एक फैक्ट्री का मामला नहीं है, यहां पर ज्यादातर लोग बेरोजगार हैं। चाहे एक फैक्ट्री लगे या दो। अशोक पेपर मील जब चल रही थी, उस वक्त भी यहां बेरोजगारी थी, लोग पलायन करते थे। चाहे चीनी मील हो या पेपर मील, दरभंगा के साथ अन्य जिलों में भी फैक्ट्रियां बंद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा व रोजगार है ही नहीं। प्रशांत किशोर ने कहा कि सरकार को सरकारी नौकरी और उससे जुड़ा आरक्षण ही दिखता है। बिहार में चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक कुल 1.57 फीसदी आबादी ही सरकारी नौकरी में है। 98.5 फीसदी आदमी सरकारी नौकरी में है ही नहीं, लेकिन 1.5 फीसदी में जगह पाने के लिए लड़के तैयारी कर रहे हैं, जातियां संघर्ष कर रही हैं, पैसे वाले पैसा देकर उसमें घुसना चाहते हैं। जब एक ही रोटी है और खाने वाले 10 लोग हैं, तो 9 लोगों को तो भूखा ही रहना पड़ेगा। ऐसे में अशोक पेपर मील चालू हो जाए तो दरभंगा के सभी लोगों को रोजगार मिल जाए ऐसा नहीं होगा। 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, लेकिन दरभंगा में तो लाखों लोग बेरोजगार हैं। बिहार से पलायन कर 2 करोड़ लोग बाहर गए हैं। अगर 1 लाख लोगों को सरकार ने नौकरी दे भी दी, तो भी 1 करोड़ 99 लाख लोग बेरोजगार हैं। जब तक यहां लोगों की पढ़ाई, स्वरोजगार की व्यवस्था नहीं होगी, तबतक किसी भी हालत में बिहार में बेरोजगारी खत्म नहीं हो सकती है और पलायन नहीं रुक सकता है। प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बहेड़ी प्रखंड के 4 पंचायतों के 7 गांवों में पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने 11.4 किलोमीटर तक पदयात्रा की। पुरानी पोखर थाटोपुर से पदयात्रा शुरू कर वे मिथुनिया, पाढ़, नौडेगा, दोहत नारायण, गंगदाह, शिवराम गांव के झकारिया पोखर के पास लगे कैंप तक गए। इस दौरान जगह-जगह पर जनसभा कर लोगों को वोट की ताकत का एहसास भी दिलाया।