
ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24
दरभंगा–माहरणालय अवस्थित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार में पंचायती राज विभाग,बिहार सरकार के तत्वाधान में जल-जीवन-हरियाली दिवस का आयोजन किया गया। उक्त आयोजन में जल-जीवन-हरियाली अभियान से जुड़े सभी विभाग के पदाधिकारी एवं पंचायती राज विभाग के पदाधिकारी उपस्थित होकर राज्य स्तर से प्रसारित लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से जल-जीवन-हरियाली दिवस कार्यक्रम को सुना गया। जिला स्तर से जिलाधिकारी दरभंगा श्री राजीव रौशन, जिला पंचायती राज पदाधिकारी आलोक राज, प्रभारी पदाधिकारी डीआरडीए राहुल कुमार, जिला सूचना विज्ञान पदाधिकारी राजीव कुमार झा, जिला मिशन प्रबंधक जल-जीवन-हरियाली उपस्थित रहे, जिसमें पंचायती राज विभाग द्वारा सार्वजनिक जलस्रोतों का संरक्षण, कुँआ जीर्णोद्धार कार्य, सार्वजनिक कुँआ एवं चापाकल के समीप कराए जा रहे सोख्ता निर्माण को लेकर चर्चा की गई। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए बिहार सरकार द्वारा बहुअयामी अभियान चलाया गया है। 02 अक्टूबर 2019 राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस के अवसर पर इस अभियान को प्रारंभ किया गया। इसकी रूपरेखा तैयार करने को लेकर 13 जुलाई 2019 को बिहार विधान मंडल की सर्वदलीय बैठक की गई। लंबे विचार, मंथन व सुझाव के पश्चात इस अभियान की रूपरेखा तैयार की गई। यह तय किया गया की जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से कैसे निपटा जाए। कैसे प्रकृति के साथ विकास का एक मॉडल बनाया जा सके। जल संरक्षण, वायु प्रदूषण नियंत्रण, भूमि उर्वरा शक्ति में वृद्धि, पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भरता में कमी कैसे किया जा सके, इस विमर्श के जो परिणाम निकल कर आए उसके अंतर्गत जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाने तथा इसके अंतर्गत कार्य करने हेतु 11 अवयव निर्धारित किया गया। जिसके अंतिम अवयव में जन जागरूकता शामिल किया गया, चुकी कोई भी अभियान और कार्यक्रम आम जनता की सहभागिता से ही सफल हो सकता है और इसके लिए स्कूल, कॉलेज,आम जनता में चर्चा करने के साथ-साथ यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल-जीवन-हरियाली दिवस का आयोजन किया जाए,जिसमें इस अभियान के जानकार लोगों द्वारा अपने अनुभव साझा किया जाए। उन्होंने आगे कहा कि इसी कड़ी में पंचायती राज विभाग द्वारा आज का जल-जीवन-हरियाली दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस अभियान में इस विभाग का बहुत बड़ा योगदान है, क्योंकि 80 प्रतिशत क्षेत्र पंचायतों में ही है,वहाँ जब काम होगा तभी धरातल पर काम दिखेगा। हमें पंचायतों के तालाब,पोखर,आहर,पईन, कुँआ का जीर्णोद्धार करना होगा। नए जल स्रोत का सृजन भी करना होगा। इससे एक तो धरातल पर पानी उपलब्ध रहता है और दूसरी ओर हमारा वाटर टेबल भी रिचार्ज होता रहता है। उन्होंने कहा कि वाटर टेबल मेंटेन रखने पर गर्मियों में जल संकट उत्पन्न नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि हमें जल स्रोतों का निर्माण या जीर्णोद्धार इस तरह से करना होगा कि उसे आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो सके यथा-मछली पालन, मखान की खेती या अन्य संबंधित कार्य किया जा सके, इस दिशा में हमें काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा की सभ्यता के विकास के साथ-साथ जल प्राप्त करने के साधन में बदलाव होता गया। पूर्व में नदी, तालाब, पोखर से लोग जल ग्रहण करते थे। धीरे-धीरे कुँआ, चापाकल और समरसेबुल का प्रयोग होने लगा। नये साधन के आ जाने पर पुराने साधन को लोग भूल गए, लेकिन उन साधनों का भी महत्व है। उनके रहने से एक तो धरातल पर जल रहता है, दूसरा हमारा वाटर टेबल रिचार्ज होता है, इसलिए उन जल स्रोतों को भी जीवित रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चापाकल और कुँआ के किनारे सोख्ता निर्माण का कार्य पंचायती राज विभाग को दिया गया है, जो वाटर टेबल को रिचार्ज करने के लिए महत्वपूर्ण है, इसके साथ वर्षा छत वर्षा जल संचयन भी वाटर रिचार्ज के लिए काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भूमि की उर्वरा शक्ति बचाने के लिए जैविक खेती, वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वृक्षारोपण, पारंपरिक ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना इस अभियान के अंतर्गत बनाई गई है, जो वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित हैं। हमें प्रकृति के साथ विकास के मॉडल पर चलना होगा। तभी हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम कर सकेंगे। इस अवसर पर पंचायती राज विभाग द्वारा अपने प्रखण्ड व पंचायत में जल-जीवन-हरियाली अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रखण्ड विकास पदाधिकारी हनुमान नगर, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी जाले,
प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी हायाघाट, हायाघाट के आनंदपुर सहोरा व श्रीरामपुर ग्राम पंचायत, हनुमाननगर के मोरो तथा जाले के मस्सा ग्राम पंचायत के मुखिया जी व 5 तकनीकी सहायकों को जिलाधिकारी महोदय के कर कमलों से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।