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दरभंगा–जाति आधारित जनगणना को रोकने की बीजेपी की साजिशों के बावजूद बिहार की महागठबंधन सरकार ने इस काम को पूरा कर इसका डेटा जारी कर दिया है, जो नीतीश कुमार और उनकी सरकार की बड़ी उपलब्धि है। ये विचार व्यक्त करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने कहा कि इस सर्वे से यह स्पष्ट हो गया है कि किसकी कितनी जनसंख्या है और सरकारी संसाधनों से लाभ किसे मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस जनगणना ने राज्य में मुसलमानों की आबादी को भी स्पष्ट कर दिया है, क्योंकि इसका उद्देश्य आबादी के विभिन्न वर्गों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करना और उसके अनुसार सरकारी योजनाएं बनाना है, इसका मुसलमानों को भी फायदा मिलना चाहिए और जनसंख्या के अनुपात में मुसलमानों के लिए भी सरकारी योजनाएं बननी चाहिए। श्री नज़रे आलम ने कहा कि आजादी के बाद से मुसलमानों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है, लेकिन उनके मुंह भराई का ढ़िंढ़ोरा खुब पीटा गया।पार्लियामेंट और विधानसभाओं से लेकर नौकरियों तक में उनके साथ भेदभाव किया गया और हर जगह उनका प्रतिनिधित्व कम करने की कोशिश की गई।इसलिए, अब समय आ गया है कि मुसलमानों को भी आबादी के अनुपात में उनका हिस्सा मिलना चाहिए और उन्हें उनके वैध अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। मुसलमानों को भी अन्य वर्गों के साथ साथ उनका अधिकार दिया जाना चाहिए। बिहार शरीफ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता मशकूर अहमद ने कहा कि जाति आधारित जनगणना करा कर नीतीश कुमार ने यह सबूत दे दिया है कि वह बिना भेदभाव के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं और हर वर्ग को उसका हक दिलाना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री मुस्लिमों को भी उनकी आबादी के अनुपात में उनका हक दिलायेंगे। उन्होंने कहा कि इस जनगणना से यह स्पष्ट हो गया है कि आजादी के 75 साल बाद भी कुछ वर्ग और मुट्ठी भर लोग सरकारी संसाधनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं और कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस बात से सबसे ज्यादा चिंतित है क्योंकि वह कुछ वर्गों को लाभ पहुंचाने में विश्वास करती है और इसलिए वह नहीं चाहती थी कि यह काम पूरा हो और उसने इसे रोकने के लिए हरसंभव कोशिश भी की थी। बलाई (बीरौल) के सामाजिक कार्यकर्ता सैफुल इस्लाम सरवर ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि धर्म का राजनीतिकरण करने वाली भाजपा ने जाति आधारित जनगणना के पूरा होने के बाद विपक्षी दलों पर जाति की राजनीति करने का आरोप लगाने लगी है। उन्होंने बिहार सरकार और केंद्र की मोदी सरकार से अन्य समुदायों के साथ-साथ मुसलमानों की भी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की मांग की।

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