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ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24

दरभंगा–आज सोमवार को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्राचीन भारतीय इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग में ‘जखन-तखन’ व्याख्यानमाला का बारहवां और अंतिम व्याख्यान ‘धनि दरभंगा दोहरी अंगा’ विषय पर मिथिला के स्वतंत्र शोधार्थी श्री अमल कुमार झा ने दिया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अमीर अली खान ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ साहित्यकार विभूति आनंद ने वक्ता की औपचारिक परिचय से किया और अंत में समस्त व्याख्यानों में विशेष सहयोग करने वाले सत्यनारायण यादव, दीपेश कुमार, मुरारी कुमार, दीपक कुमार, डा प्रतिभा किरण, रश्मि कुमारी, सिद्धि सुमन, पूर्णिमा कुमारी, पुष्पांजली कुमारी एवं श्रुति कुमारी को सम्मानित किया गया एवं सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। व्याखान प्रस्तुत करते हुए मुख्य वक्ता श्री झा राज दरभंगा के उपलब्धियों एवं विकासोन्मुख कार्यों का व्याख्या करते हुए कहा कि- “सरकारी षड्यंत्र के तहत राज दरभंगा की सारी संपतियों को सरकार के द्वारा अधिगृहीत कर लिया गया और इंडियन नेशन आर्यावर्त और मिथिला मिहिर सदृष्य एक मजबूत और निष्पक्ष सूचनातंत्र को ध्वस्त कर दिया गया। राज दरभंगा के सबसे प्रमुख कार्यों में उद्योग स्थापित करना भी था, जिसकी दयनीयता सर्वविदित है।आवश्यकता है राज दरभंगा के द्वारा किए गए विभिन्न क्रियाकलापों का निष्पक्ष अध्ययन करने की।” इस प्रकार उन्होंने राज दरभंगा के विभिन्न आवादनों को रेखांकित किया। अध्यक्षीय संबोधन में डाॅ. खान ने कहा की- “मिथिला की संस्कृति को सॉफ्ट पॉवर के रूप में वैश्विक रूप देने की आवश्यकता है। यह व्याख्यानमाला मिथिला में सांस्कृतिक पुनर्जागरण करने का कार्य किया है और इस प्रकार के व्याख्यानों को निरंतर जारी रखनी चाहिए।” साहित्यकार विभूति आनंद ने संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ अयोध्यानाथ झा ने किया। इस मौकै पर प्रो विद्या नाथ झा, डाॅ. मुरलीधर झा, डाॅ. भक्तिनाथ झा, डा अवनींद्र कुमार झा, प्रदीप बिहारी, डाॅ. प्रतिभा किरण, डाॅ. जमील अंसारी, डा मंजर सुलेमान, डा योगानंद झा, वैद्य गणपति नाथ झा, डा सुशांत कुमार, डाॅ. सुनीता कुमारी, डा सुनीता झा, पुतुल देवी, मनीष कुमार, हेमा कुमारी, राज्यश्री, अम्बालिका, शिवम, बंदना समेत विश्वविद्यालय के दर्जनों शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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