
ब्यूरो रिपोर्ट हिन्द टीवी 24
दरभंगा–ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को नैक में मिले B++ ग्रेड प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। 2015 में सेकंड साइकल के मूल्यांकन के उपरांत उस वक्त के नैक टीम द्वारा दिए गए शैक्षणिक त्रुटि को दूर करने के सलाह को पिछले आठ सालों से नजरअंदाज कर विश्वविद्यालय को लूट का अड्डा बनाया गया। पिछले 1 सालो से विश्वविद्यालय के कुलपति और पूरा प्रशासन नैक के नाम पर करोड़ों का निर्माण कार्य व रंगरोगन कराने व लूट मचाने में व्यस्त रहा। उक्त बातें प्रेस रिलीज जारी कर इंकलाबी नौजवान सभा (आर वाई ए) के राज्य सह सचिव संदीप कुमार चौधरी ने कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति A नही मिलने का कारण रिसर्च पब्लिकेशन को माना है तो क्या विश्वविद्यालय प्रशासन इसको पहले से ही ठीक क्यों नही की? विश्वविद्यालय में पीएचडी शोध को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीर नहीं है, बिना किसी नियम व रेगुलेशन का पीएचडी करवाया जा रहा है। सभी नियम व रेगुलेशन फाईल में दबकर रह गया है। नियमित कोर्स में उपस्थिति भी दर्ज नहीं हो रहा। जबकि सबसे अधिक अंक शोध का ही होता है। विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता और संवेदनहीनता ने देश में सबसे ज्यादा छात्रों को शिक्षा देने वाला ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के चालू होने की सारी संभावनाओं पर विराम लगा दी और वहा कार्यरत कर्मियों के भविष्य पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर दी। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी विफलता पर आत्मालोचना करने और मिथिलांचल के आवाम से माफी मांगने की मांग की।