दरभंगा–बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि दयानंद पासवान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि सामान्य तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान आदि जगहों पर श्रीकृष्ण भगवान, जगन्नाथ जी को लोग ‘ठाकुर’ सम्बोधित करते है। बिहार में तो नाई, लोहार, बढ़ई जाति को भी ठाकुर कहते हैं। उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय/राजपूत अपने को ठाकुर कहते हैं और लोग भी उन्हें सम्मान देते हुए ठाकुर सम्बोधित करते हैं। लेकिन बिहार में तो कभी परम्परा रही नहीं है ठाकुर सम्बोधित करने की। बिहार में ‘बाबू साहब’ कहकर सम्बोधित किया जाता रहा है।
बिहार के जगदीशपुर के महाराजा कुंवर सिंह को भी बाबू कुंवर सिंह कह कर पुकारा गया है। लेकिन कभी ठाकुर सम्बोधित नहीं किया गया है। परन्तु एक समाजवादी ब्राह्मण नेता ने दलित साहित्यकार की कविता को राज्य सभा में उद्धृत किया, फलस्वरूप बिहार राज्य का सारा क्षत्रिय समाज आज ठाकुरत्व बोध से आंदोलित हो गया। सभी दलों के क्षत्रिय समाज के नेताओं ने बेचारे समाजवादी नेता पर एक सुर ताल में आक्रमण कर दिया है। क्या समाजवाद पाप है और समाजवादी ब्राह्मण नेता पापी है? अन्य सभी जाति और समाज क्यों मौन हैं ये एक प्रश्न है?