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सैयद शहनवाज अहमद / हिन्द टीवी 24

दरभंगा–उत्तर बिहार के सबसे मशहूर मदरसा दारूल उलूम अहमदिया सलफिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय जलसा बीती रात संपन्न हो गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में फारिग होने वाले बच्चों के सिर पर दस्तार बांधी गई। सेंट्रल जमीयत अहल हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेंहदी सलफी और इमारत शरिया के अमीर मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और मुसलमानों की शिक्षा दर को बढ़ाने के लिए शिक्षा में अंतर पैदा करने की सलाह दी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दारुल उलूम के अध्यक्ष हाफ़िज़ मुहम्मद यूसुफ़ ने की तथा संचालन मौलाना तौसीफ़ अहमद मदनी ने किया। इस मौके पर दारुल उलूम की ओर से छह लोगों की सेवाओं के लिए पुरस्कार भी दिए गए, जिनमें सेंट्रल जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेंहदी सलफी, मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, प्रोफेसर अनीस सदरी, दारूल उलूम के अध्यक्ष हाफिज मुहम्मद यूसुफ, डॉ. अब्दुल्ला मुश्ताक प्रोफेसर हेल यूनिवर्सिटी और एहतिशामुल हक के नाम शामिल हैं। इस मौके पर डॉ. अब्दुल्ला मुश्ताक, मौलाना खुर्शीद आलम मदनी, मौलाना जकी अहमद मदनी, मौलाना हारून सनाबली, मौलाना अबू हरीरा मदनी, मौलाना सरफराज फैजी और मौलाना मुहम्मद अली सलफी आदि ने भी अपनी बात रखी, जबकि प्रिंसिपल मौलाना अशरफ अली सलफी ने एक प्रस्ताव पारित कर लोगों को धर्म पर स्थापित करने, उनके कर्तव्यों और दायित्वों का भुगतान करने, बच्चों को उच्च शिक्षा देने, लड़कों और लड़कियों को धार्मिक आधार पर प्रशिक्षण देने के साथ साथ इज़राइल के कारवाई की निंदा करते हुए फिलिस्तीन के साथ एकजुटता व्यक्त की गई। इससे पहले दारुल उलूम की अंजुमन अल-नदी-उल-इस्लाह का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बच्चों की तकरीर, तराना, मुकालमे के साथ गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। उक्त बैठक में राज्यसभा सदस्य डॉ फैयाज अहमद और मंत्री ललित कुमार यादव भी शामिल हुए। उक्त नेताओं ने बच्चों के कार्यक्रम और दारुल उलूम के अच्छे प्रबंधन की सराहना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता दारुल उलूम के सचिव इंजीनियर इस्माइल खुर्रम और निजामत शकील अहमद सलफी ने की। प्राचार्य अशरफ अली सलफ़ी और डॉ. यूसुफ फैसल ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। वहीं अतिथियों द्वारा बच्चों के बीच पुरस्कार का वितरण भी किया गया। इस अवसर पर छात्रों की पत्रिका अल-नदी का विमोचन भी किया गया। पिछली बैठक को मौलाना नूरुल इस्लाम मदनी ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर अनीस सदरी और निजामत मौलाना अब्दुल कादिर नदवी ने की। दिन के सत्र में दारुल उलूम से आलमियत और हिफ्ज मुकम्मल कर चुके एक सौ से अधिक छात्रों के सिर पर मौलाना अब्दुल रहमान और अन्य अतिथियों के हाथों दास्तार बंधवाया गया। इस अवसर पर बोलते हुए, मौलाना अब्दुल हसीब मदनी ने फारिग बच्चो को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराया और उन्हें खुद को इल्म और बसीरत से लैस करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि धर्म ज्ञान का नाम है। यदि फारिगीन को शरिया विज्ञान में गहराई नहीं है, तो वे लोगों को क्या देंगे? उन्होंने फारिगिन को सूचना और प्रामाणिक ज्ञान से ऊपर उठकर अंतर्दृष्टि पैदा करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि समाज फारिगिन की ओर उम्मीद की नजरों से देख रहा है। इन्हें सुधारना और नेतृत्व का कर्तव्य निभाना फारिगन का महान दायित्व है। इस मौके पर मौलाना खुर्शीद अहमद सलफी (झंडानगर) ने भी संबोधित किया। निजामत मौलाना मुहम्मद अली मदनी ने की। मौलाना अब्दुल रहमान लैथी ने अध्यक्षता की और फारिगिन को दुआए दी। इससे पहले रात में हुई बैठक को मौलाना अबू हुरैरा मदनी, मौलाना अब्दुल हसीब मदनी, मौलाना अबू जैद जमीर, मौलाना अंसार जुबैर मोहम्मदी, मौलाना जफर अल हसन मदनी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलफी एवं संचालन मौलाना खुर्शीद आलम सलफी ने किया। इस अवसर पर मेहमानों द्वारा डॉ. सैयद अब्दुल अजीज सलफी द्वारा लिखित पुस्तक: डॉ. सैयद अब्दुल हफीज सलफी – जीवन और सेवाएं का भी विमोचन किया गया। सभा की लगभग सभी नशिष्टो में छात्रों ने भाषण, हम्द, नआत भी प्रस्तुत किए। , कविताएं इत्यादि छात्र मदरसे द्वारा विज्ञान और इस्लाम पर आधारित एक शैक्षिक प्रदर्शनी और एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। मदरसा के शिक्षकों, छात्रों और कार्यकर्ताओं के अलावा, फरगीन सलाफिया, अरशद फरीद, शिराज इमाम, शाहिद हसनैन, शारिक हुसैन, सैयद शाहनवाज अहमद भी सक्रिय थे। कार्यक्रम सफल रहे। कार्यक्रम में दरभंगा जिले को छोड़कर बिहार के लगभग सभी जिलों से हजारों लोग शामिल हुए। मदरसा सचिव इंजीनियर इस्माइल खुर्रम ने बैठक में भाग लेने वाले दर्शकों और मदरसा के शिक्षकों, छात्रों और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ विद्वानों और बुद्धिजीवियों को धन्यवाद दिया। कार्यकर्म को हमारे ज्वाइंट एडिटर सैयद शाहनवाज अहमद ने कवर किया।

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